भारत में अडवेंचर प्रेमियों के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थल: गर्मी की छुट्टियों का रोमांच
गर्मियों की छुट्टियों का समय है, और यह समय है विश्व स्तरीय रोमांचक अनुभवों का आनंद लेने का। सवाल यह है कि घूमने की इच्छा किसे नहीं होती? विशेषकर गर्मियों के दिनों में, तो चलिए हम आपको ले चलते हैं भारत के उन अनूठे और रोमांचक स्थलों पर जहाँ आप अडवेंचर स्पोर्ट्स का पूरा आनंद उठा सकते हैं।
भारत में ऐसे अनेक जगहें हैं जहां अडवेंचर की तलाश में लोग दूर-दूर से आते हैं। आज हम उन्हीं खास स्थलों की बात करेंगे, जहां आप अपने मित्रों या साथी के साथ जाकर विविध अडवेंचर एक्टिविटीज़ का लुत्फ उठा सकते हैं। यदि आप इस बार छुट्टियों में कुछ अलग और रोमांचक अनुभव की तलाश में हैं, तो भारत की प्रमुख अडवेंचर स्पोर्ट्स गंतव्यों की सूची जरूर देखें। यहाँ के कैम्पिंग अनुभव निश्चित ही आपके लिए यादगार बनेंगे।
इन स्थानों पर आप प्रकृति के सान्निध्य में खुद को खोज पाएंगे। खुले आसमान के नीचे बिताई गई ये छुट्टियां न केवल विशेष होंगी, बल्कि होटल स्टे से हटकर एक अनोखा अनुभव भी प्रदान करेंगी। भारत में गर्मी की छुट्टियों में अडवेंचर एक्टिविटीज़ के लिए सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से टॉप 5 हम आपके लिए चुनकर लाए हैं। यहाँ आपको न सिर्फ रोमांचक गतिविधियाँ मिलेंगी, बल्कि आप भारतीय संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का भी अनुभव कर पाएंगे। तो इस गर्मी, भारत के इन अद्भुत अडवेंचर स्पोर्ट्स गंतव्यों में से चुनें और एक यादगार छुट्टी का आनंद लें।
बंजी जंपिंग - एक अद्भुत और रोमांचक अनुभव
बंजी जंपिंग, एक ऐसा खेल जो आपको रोमांच से भर देता है और आपकी हिम्मत की परीक्षा लेता है। इस खेल में, आपको एक विशेष प्रकार की मजबूत रस्सी से बांधकर, ऊँचाई से नीचे कूदना होता है। यह रस्सी आपको सुरक्षित रखती है और अद्भुत गति से ऊपर-नीचे होने का अनुभव प्रदान करती है। बंजी जंपिंग का अनुभव वाकई अविस्मरणीय होता है। जब आप उच्चतम बिंदु से कूदते हैं, तो वह क्षण आपके जीवन का सबसे रोमांचक पल बन जाता है। इस खेल की उत्तेजना और सुरक्षा का मिश्रण इसे एक अनोखा और लोकप्रिय खेल बनाता है। भारत में, बंजी जंपिंग को लेकर लोगों में काफी उत्साह है। इस खेल के लिए विशेष रूप से निर्मित स्थलों पर जाना होता है, जहां सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जाता है। बंजी जंपिंग करते समय, प्रत्येक जंपर को उचित फिटनेस और सुरक्षा निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होता है। यह खेल 14 से 50 वर्ष की आयु के लोगों के लिए उपलब्ध है।
कौन कर सकता है: हालाकि यह खेल 14 से 50 वर्ष की आयु के लोगों के लिए उपलब्ध है लेकिन 45 साल से ऊपर के लोगों को डॉक्टर से फिटनेस सर्टिफिकेट देना पड़ता है।जबकि 50 से ऊपर के लोग बंजी जंपिंग के योग्य नहीं होते।
कितना सेफ: भारत में इस तरह के स्पोर्ट्स को सर्टिफाइ करने वाली एजेंसियां नहीं हैं लेकिन कुछ एजेंसियों ने जर्मनी और न्यूजीलैंड की सेफ्टी एजेंसीज से सर्टिफिकेट ले रखा है। आमतौर पर यह गेम सेफ है।
कब करें: पूरे साल (इस खेल को करने के लिए साल भर का कोई भी समय उपयुक्त होता है, लेकिन अक्सर लोग मौसम के अनुसार इसे अनुभव करना पसंद करते हैं।)
खर्च कितना: बंजी जंपिंग की लागत भारत में प्रति जंप लगभग 2,000 रुपये होती है। यह कीमत विभिन्न स्थानों और उपलब्ध सुविधाओं पर निर्भर करती है।
रिवर राफ्टिंग
रिवर राफ्टिंग, जिसे व्हाइटवाटर राफ्टिंग भी कहा जाता है, एक ऐसा एडवेंचर स्पोर्ट है और एक रोमांचकारी और जोशीला खेल, पहाड़ी नदियों में की जाने वाली एक ऐसी गतिविधि है जो पर्यटकों और साहसिक खेल प्रेमियों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस खेल में, व्यक्ति एक रबर की नाव पर बैठकर तेज गति से बहती नदी की धाराओं में संतुलन बनाने का प्रयास करते हैं। यह एक ऐसा अनुभव होता है जहां रोमांच और प्रकृति का सौंदर्य एक साथ मिलते हैं। रिवर राफ्टिंग के अनुभव को विभिन्न ग्रेड में बांटा गया है, जो ग्रेड 1 (सबसे आसान) से लेकर ग्रेड 6 (सबसे कठिन) तक होते हैं। इन ग्रेड्स का निर्धारण नदी की धारा की गति, जलधाराओं की जटिलता और नदी के परिवेश के आधार पर किया जाता है। इस खेल के शौकीन व्यक्तियों के लिए, भारत में कई प्रमुख गंतव्य हैं जैसे कि ऋषिकेश, जिसे भारत की राफ्टिंग राजधानी माना जाता है, मनाली, और लद्दाख। ये स्थान राफ्टिंग के लिए आदर्श हैं और यहां विभिन्न ग्रेड्स की राफ्टिंग की जा सकती है।
कहां: इस खेल को भारत के विभिन्न स्थानों पर आनंदित किया जा सकता है, जिनमें ऋषिकेश सबसे प्रसिद्ध है। ऋषिकेश को भारत की 'राफ्टिंग कैपिटल' के रूप में जाना जाता है, जहां साल भर देश-विदेश से पर्यटक इस अद्भुत अनुभव के लिए आते हैं। इसके अलावा, मनाली और लद्दाख भी राफ्टिंग के लिए प्रसिद्ध स्थान हैं।
कब करें: राफ्टिंग के लिए सर्वोत्तम समय मार्च से मई और सितंबर से नवंबर के महीने होते हैं, जब नदी में पानी का प्रवाह उपयुक्त होता है।( मार्च से मई और सितंबर से नवंबर के बीच)
कौन कर सकता है: इस खेल को 12 से 50 वर्ष की आयु के लोग आनंद ले सकते हैं, हालांकि इसमें भाग लेने वाले की फिटनेस का स्तर भी महत्वपूर्ण होता है।
कितना सेफ: भारत में रिवर राफ्टिंग को सुरक्षा की दृष्टि से बहुत सुरक्षित माना जाता है। ग्रेड 1 से ग्रेड 4 तक की राफ्टिंग सामान्यतः सुरक्षित होती है, जबकि ग्रेड 5 और ग्रेड 6 की राफ्टिंग को अधिक चुनौतीपूर्ण और खतरनाक माना जाता है।
खर्च कितना: इस खेल के लिए खर्च की बात करें तो, प्रति व्यक्ति प्रति दिन 1800 से 2000 रुपये के आसपास होता है, जो गंतव्य और राफ्टिंग की ग्रेड पर निर्भर करता है।
ट्रेकिंग
ट्रेकिंग, जो पहाड़ों और प्रकृति के सान्निध्य में एक रोमांचकारी अनुभव होती है, भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह न केवल एक शारीरिक चुनौती है, बल्कि आत्म-खोज का एक साधन भी है। ट्रेकिंग के दौरान, यात्री प्राकृतिक सौंदर्य और शांति का अनुभव करते हैं, जो उन्हें मानसिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध करता है। भारत के पर्वतीय स्थलों, जैसे हिमालय, उत्तराखंड, लेह-लद्दाख, और हिमाचल प्रदेश, ट्रेकर्स के लिए एक अद्भुत प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं। हाई ऐल्टीट्यूड और लो ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग, दोनों ही अपनी अनूठी चुनौतियों और आकर्षणों के साथ आते हैं। लो ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग अधिक सुलभ होती है और यह नए ट्रेकर्स के लिए आदर्श होती है, जबकि हाई ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग अधिक अनुभवी और फिट यात्रियों के लिए होती है इसमें शारीरिक सीमाओं को पार करने और अपनी सहनशक्ति की परीक्षा करने का मौका मिलता है। इस प्रकार की ट्रेकिंग में, यात्री 16,000 से 17,000 फुट की ऊंचाई तक चढ़ाई करते हैं, जो एक रोमांचक और चुनौतीपूर्ण अनुभव होता है।
कहां-कहां ट्रेकिंग: वैसे तो उत्तराखंड में शिवालिक श्रेणियों पर बसे मसूरी और नैनीताल में भी ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं लेकिन हाई ऐल्टीट्यूड ट्रेकिंग के लिए लेह-लद्दाख, स्पीति (हिमाचल) या गंगोत्री जाना पड़ेगा। 16 हजार से 17 हजार फुट की ऊंचाई तक जाना शारीरिक सीमाओं पर पार पाने वाला स्पोर्ट है।
कब करें: मार्च से जून के महीने हिमालय में ट्रेकिंग के लिए आदर्श माने जाते हैं। इस समय का मौसम सुहावना होता है, जिससे ट्रेकिंग का अनुभव और भी बेहतर हो जाता है।
कौन कर सकता है: ट्रेकिंग के लिए फिटनेस और स्वास्थ्य की जांच जरूरी है, खासकर हाई ऐल्टीट्यूड ट्रेक्स के लिए, जहां शारीरिक और मानसिक तैयारी महत्वपूर्ण होती है। ट्रेकिंग के दौरान सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाता है, और अनुभवी गाइड्स का साथ होना आवश्यक होता है।
कितना सेफ: वैट्रेकिंग का खर्च विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे स्थान, ट्रेक की अवधि, और सेवाओं का स्तर। आमतौर पर, प्रति व्यक्ति प्रति रात 1,800 से 2,500 रुपये के बीच खर्च आता है। यह निवेश न केवल एक यादगार अनुभव प्रदान करता है, बल्कि प्रकृति के साथ गहरा संबंध बनाने का अवसर भी देता है। ट्रेकिंग न केवल शारीरिक लाभ प्रदान करती है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन को भी सुधारती है, जिससे यह एक संपूर्ण और संतोषजनक गतिविधि बन जाती है।
खर्च कितना: डिमांड के हिसाब से 1800 रुपये से 2500 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति रात
रॉक क्लाइंबिंग
रॉक क्लाइम्बिंग या चट्टानों पर चढ़ाई, एक ऐसा खेल है जो न केवल शारीरिक बल का परीक्षण करता है, बल्कि मानसिक दृढ़ता और निपुणता को भी मजबूत करता है। इसमें चढ़ाईकर्ता अपने हाथों और पैरों का उपयोग करके ऊंचे और खड़े चट्टानी प्रदेशों पर चढ़ते हैं। यह खेल न केवल शारीरिक ताकत बढ़ाता है, बल्कि मानसिक संतुलन और समस्या सुलझाने की क्षमता को भी विकसित करता है। यह आपके निर्णय लेने की क्षमता और आत्म-विश्वास को भी बढ़ाता है।
कहां: भारत में, रॉक क्लाइम्बिंग के लिए कई स्थान उपलब्ध हैं। दिल्ली के पास सोहना में दम-दमा झील, ऋषिकेश, और मनाली इसके प्रमुख स्थल हैं। ये स्थान न केवल चुनौतीपूर्ण चढ़ाई प्रदान करते हैं, बल्कि सुंदर प्राकृतिक परिवेश भी प्रदान करते हैं। इन स्थलों पर चढ़ाई का अनुभव न केवल रोमांचक होता है, बल्कि यह आपको प्रकृति के करीब भी लाता है।
कब करें: रॉक क्लाइम्बिंग करने का सबसे अच्छा समय फरवरी से मई और सितंबर से नवंबर तक का माना जाता है। इस दौरान मौसम सुखद और अनुकूल रहता है।
कौन कर सकता है: इस खेल को करने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती, लेकिन यह जरूरी है कि व्यक्ति शारीरिक रूप से स्वस्थ और फिट हो। 50 वर्ष की उम्र तक के लोग भी इस खेल का आनंद उठा सकते हैं।
कितना सेफ: सुरक्षा के दृष्टिकोण से, रॉक क्लाइम्बिंग करते समय उचित प्रशिक्षण और सुरक्षा उपकरणों का होना अत्यंत आवश्यक है। अनुभवी और प्रशिक्षित गाइड या ट्रेनर की उपस्थिति में चढ़ाई करने से दुर्घटनाओं का जोखिम कम होता है।
खर्च कितना : इस खेल को करने का खर्च लगभग 2000 रुपये प्रति व्यक्ति तक हो सकता है, जो विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है।
स्कूबा डाइविंग
हमारी धरती की सतह पर जो कुछ भी हम देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा अद्भुत और रोमांचक दृश्य समुद्र की गहराइयों में छुपे हुए हैं। स्कूबा डाइविंग, इस अज्ञात और अनछुए समुद्री संसार को नजदीक से अनुभव करने का एक अनोखा तरीका है। इस अद्वितीय खेल में, डाइवर्स ऑक्सिजन सिलेंडर की मदद से समुद्र की गहराइयों में उतरते हैं और वहां के अद्भुत जीवन, रंग-बिरंगी मछलियों और अन्य समुद्री जीवों का दर्शन करते हैं।
कहां: स्कूबा डाइविंग केवल समुद्र की सतह के नीचे जाने का नाम नहीं, बल्कि यह एक ऐसे अनजाने संसार से परिचित होने का अवसर है, जो हमारे दैनिक जीवन से काफी अलग है। भारत में, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसे स्थान स्कूबा डाइविंग के लिए उत्कृष्ट और सुंदर गंतव्य हैं। ये स्थान अपने साफ पानी और विविधतापूर्ण समुद्री जीवन के लिए प्रसिद्ध हैं।
कब करें: स्कूबा डाइविंग पूरे वर्ष की जा सकती है, लेकिन इसे हाई-टाइड के दौरान टालना चाहिए। सर्वोत्तम अनुभव के लिए, मौसम और समुद्री स्थितियों का ध्यान रखें।
कितना सेफ: स्कूबा डाइविंग को सुरक्षित बनाने के लिए, कम गहराई में डाइविंग करना उचित है, खासकर नए डाइवर्स के लिए। यदि आप 150-200 मीटर तक की गहराइयों में जाना चाहते हैं, तो पेशेवर प्रशिक्षण और अनुभवी डाइवर्स की मदद आवश्यक है।
खर्च कितना : स्कूबा डाइविंग का खर्च विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि स्थान, डाइविंग की गहराई, और उपकरण किराए पर लेने की लागत। आमतौर पर, एक बार की डाइविंग के लिए लगभग 1000 रुपये प्रति व्यक्ति का खर्च आता है। यह एक ऐसा अनुभव है जिसकी कीमत उसके अनुभव के मुकाबले काफी कम है।
पैराग्लाइडिंग
पैराग्लाइडिंग, जिसे आधुनिक युग का रोमांचकारी खेल माना जाता है, वह अनुभव है जो हमें पक्षियों की तरह आकाश में उड़ने का अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। यह खेल स्काई डाइविंग और हैंग ग्लाइडिंग के सम्मिश्रण से बना है और इसमें प्रत्येक प्रेमी को हवा के बीच उड़ान भरने का अवसर मिलता है। पैराग्लाइडर, जो कि एक विशेष प्रकार का कैवेलार होता है, का उपयोग करके उड़ान भरी जाती है। इसमें उड़ान के लिए ऊंचाई से हवा के खिलाफ छलांग लगानी पड़ती है। यह खेल आपको 10 हजार फुट की ऊंचाई तक पहुंचा सकता है।
कहां: पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध स्थलों में कांगड़ा के बीर और बिलिंग, मनाली, मसूरी जैसी जगहें शामिल हैं। ये स्थान पैराग्लाइडिंग के शौकीनों के लिए स्वर्ग समान हैं।
कब करें: यहां पर इस खेल का आनंद वर्ष के किसी भी समय उठाया जा सकता है, बस बारिश के मौसम और तेज हवाओं के समय से बचना चाहिए।
कितना सेफ: सुरक्षा की दृष्टि से पैराग्लाइडिंग को दो सीटर ग्लाइडर में प्रशिक्षित पायलट के साथ करना सबसे बेहतर माना जाता है। यदि कोई अकेले इस खेल को आजमाना चाहता है, तो उसके लिए पूरी ट्रेनिंग लेना आवश्यक है।
खर्च कितना: इस खेल के लिए खर्च की बात करें तो यह प्रति व्यक्ति 1500 से 2000 रुपये के बीच हो सकता है।
Sat, 24 Feb 2024 04:05 PM