वाराणसी के प्रसिद्ध किले: ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर जो बनारस के सांस्कृतिक और राजसी इतिहास को दर्शाते हैं।
वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध किला रामनगर किला है, जिसे काशी नरेश ने बनवाया था। यह किला गंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ राजसी हथियार, शाही संग्रहालय और प्राचीन धरोहरों का संग्रह देखा जा सकता है।

वाराणसी, जिसे काशी या बनारस के नाम से भी जाना जाता है, केवल एक धार्मिक नगरी ही नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर से समृद्ध क्षेत्र भी है। गंगा नदी के किनारे बसे इस प्राचीन शहर में अनेक ऐसे किले और भवन हैं जो बनारस के राजसी गौरव, स्थापत्य कला और सांस्कृतिक विरासत को जीवंत बनाते हैं।
इस लेख में हम आपको वाराणसी के प्रमुख किलों की विस्तृत जानकारी देंगे, जहाँ आप इतिहास, वास्तुकला और बनारसी वैभव का अद्भुत अनुभव कर सकते हैं।
1. रामनगर किला (Ramnagar Fort) – बनारस राजघराने की शाही धरोहर
रामनगर किला, वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध किला है, जो गंगा नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। यह किला राजा बलवंत सिंह द्वारा 1750 ईस्वी में बनवाया गया था और यह आज भी बनारस के महाराजा का आधिकारिक निवास है।
मुख्य आकर्षण:
- किले में मुंबई स्टोन और लाल बलुआ पत्थर से बना भव्य स्थापत्य।
- किले के भीतर बना दरबार हॉल, म्यूज़ियम, हथियारों का संग्रहालय, प्राचीन वस्त्र, पालकी, घड़ियां, हाथी दांत की कलाकृतियाँ आदि।
- हर साल यहाँ रामलीला महोत्सव बड़े ही भव्य स्तर पर आयोजित होता है, जो एक 400 साल पुरानी परंपरा है।
- किले के परिसर से गंगा नदी और घाटों का अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है।
स्थान: रामनगर, वाराणसी – गंगा नदी के पार, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से लगभग 2 किमी दूरी पर।
2. चेत सिंह किला (Chet Singh Fort) – वीरता और संघर्ष की प्रतीक
चेत सिंह किला गंगा नदी के किनारे स्थित एक और ऐतिहासिक किला है, जो बनारस के राजा चेत सिंह द्वारा बनवाया गया था। यह किला ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और चेत सिंह के बीच हुए संघर्ष का साक्षी रहा है।
मुख्य आकर्षण:
- किला 18वीं शताब्दी की बनावट और सेना संचालन के लिए रणनीतिक रूप से बना हुआ है।
- यहाँ से गंगा आरती और घाटों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
- इतिहास में यह स्थान वारेन हेस्टिंग्स और चेत सिंह के संघर्ष के लिए जाना जाता है।
- वर्तमान में यहाँ आंशिक रूप से साधु-संतों का वास है, जो ध्यान और साधना करते हैं।
स्थान: चेत सिंह घाट, अस्सी घाट के समीप, वाराणसी
3. सलेमगढ़ किला (Salemgarh Fort) – रामनगर किले का जुड़वाँ स्थल
सलेमगढ़ किला, रामनगर किले के पास ही स्थित एक पुरातन संरचना है, जो मुगल और राजपूत वास्तुकला का मिश्रण है। हालांकि यह किला अब खंडहर की स्थिति में है, लेकिन इसके अवशेष आज भी इतिहास के पन्नों को जीवंत करते हैं।
मुख्य आकर्षण:
- इसकी दीवारों और द्वारों पर राजसी नक्काशी और मुगल प्रभाव देखा जा सकता है।
- यहाँ से गंगा नदी का पैनोरमिक दृश्य एक अद्वितीय अनुभव देता है।
- इतिहास में यह किला रामनगर राजघराने की सुरक्षा के लिए सहायक किला माना जाता था।
स्थान: रामनगर क्षेत्र, गंगा पुल के समीप, वाराणसी
4. लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन (पूर्व राजकीय आवास) – आधुनिक इतिहास की झलक
यह भवन एक किले की तरह नहीं है, लेकिन इसे वाराणसी के आधुनिक इतिहास से जोड़कर देखा जाता है। यहाँ भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था।
मुख्य आकर्षण:
- भवन को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है।
- यहाँ शास्त्री जी के व्यक्तिगत वस्त्र, फोटोग्राफ्स और दस्तावेज़ प्रदर्शित किए गए हैं।
- यह स्थल वाराणसी के आधुनिक योगदान और राष्ट्रीय राजनीति से जुड़ा हुआ है।
स्थान: रामनगर, वाराणसी
5. कोड़ारिया किला – गंगा किनारे बसी अनजानी विरासत
कोड़ारिया किला एक कम चर्चित लेकिन ऐतिहासिक स्थल है जो गंगा नदी के पास स्थित है। इसका संबंध भी वाराणसी के छोटे राजाओं और जागीरदारों से रहा है।
मुख्य आकर्षण:
- खंडहर रूप में मौजूद इस किले की दीवारें राजसी स्थापत्य का संकेत देती हैं।
- आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में यह किला लोककथाओं और कहानियों का केंद्र है।
- फोटोग्राफी और इतिहास प्रेमियों के लिए यह एक शांत स्थल है।
स्थान: गाजीपुर रोड के पास, वाराणसी
वाराणसी के किलों का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
वाराणसी के किले सिर्फ पत्थरों की संरचना नहीं, बल्कि ये इतिहास, संस्कृति, परंपरा और धर्म के साक्षी हैं। गंगा नदी के किनारे बसे ये किले राजसी वैभव, संघर्ष, भक्ति और परंपरा का प्रतीक हैं।
- रामनगर किला जहाँ आज भी राजा रहते हैं और रामलीला की 200 वर्षों से अधिक पुरानी परंपरा जीवित है।
- चेत सिंह किला जिसने स्वतंत्रता संग्राम से पहले बनारस की ताकत और विद्रोह को दर्शाया।
- और अन्य किले जो बनारस की राजनीतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परतों को खोलते हैं।