लाल किला: दिल्ली का ऐतिहासिक किला, जहाँ मुगल साम्राज्य की भव्यता, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण घटनाएँ और शानदार वास्तुकला का संगम देखने को मिलता है।
लाल किला दिल्ली का सबसे प्रसिद्ध ऐतिहासिक किला है, जिसे मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 1648 में बनवाया था। यह स्थल स्वतंत्रता दिवस के राष्ट्रीय समारोह, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल और खूबसूरत बागों के लिए प्रसिद्ध है।

दिल्ली के हृदय में स्थित लाल किला एक ऐसी ऐतिहासिक इमारत है जो भारत के समृद्ध अतीत, मुगल वास्तुकला, और स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को एक साथ समेटे हुए है। यह किला केवल ईंट और पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि भारत के आत्मसम्मान और संघर्ष का प्रतीक है। मुगल सम्राट शाहजहाँ द्वारा 1648 में निर्मित, यह किला भारत की राजधानी दिल्ली की शान है। हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस पर यहीं से प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं, जो इसे और भी खास बना देता है। किले की भव्य दीवारें, आलीशान महल, खूबसूरत बाग-बगिचे, और दीवान-ए-आम व दीवान-ए-खास जैसे स्थापत्य के नमूने इसे देखने योग्य बनाते हैं। इस लेख में हम जानेंगे लाल किला के इतिहास, वास्तुकला, स्वतंत्रता संग्राम से संबंध, पर्यटन आकर्षण, और आधुनिक महत्व को आसान भाषा में।
1. लाल किला का ऐतिहासिक महत्व
लाल किला, जिसे ‘लाल क़िला’ या ‘रेड फोर्ट’ भी कहा जाता है, का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली स्थानांतरित करने के बाद कराया था। इसका निर्माण कार्य 1638 में आरंभ हुआ और 1648 में पूर्ण हुआ। इसका नाम इसकी लाल बलुआ पत्थर की दीवारों के कारण पड़ा।
इस किले ने कई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाओं को देखा है, विशेषकर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान। 1857 की क्रांति के बाद बहादुर शाह ज़फ़र को यहीं से गिरफ्तार कर बर्मा भेजा गया था। इसके बाद अंग्रेजों ने इसे सैन्य छावनी में बदल दिया।
2. मुगल वास्तुकला की अनूठी मिसाल
मुगल वास्तुकला का यह अद्भुत नमूना फारसी, तुर्की और भारतीय शैली का मिला-जुला रूप है। किले में प्रवेश करते ही सबसे पहले दिखाई देता है लाहौरी गेट, जो आज भी स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए प्रसिद्ध है।
किले के भीतर प्रमुख इमारतें हैं:
- दीवान-ए-आम: जहाँ बादशाह आम जनता की फरियादें सुनते थे।
- दीवान-ए-खास: जहाँ खास मेहमानों से मुलाकात की जाती थी।
- रंग महल: शाही महिलाओं का निवास स्थान।
मुमताज़ महल, खास महल और नहर-ए-बहिश्त: इन इमारतों में शानदार नक़्क़ाशी, जड़ी-बूटी से सजी हुई दीवारें और फ़व्वारे आज भी देखने वालों को अचंभित कर देते हैं।
3. स्वतंत्रता संग्राम में लाल किला की भूमिका
लाल किला भारत के स्वतंत्रता आंदोलन का एक मूक गवाह रहा है। 1857 की क्रांति के बाद इसे अंग्रेजी सेना ने अपने अधिकार में ले लिया और इसे सैन्य छावनी के रूप में उपयोग किया।
1945 में आजाद हिन्द फौज के तीन प्रमुख सैनिकों – सहगल, ढिल्लन और शाहनवाज़ – पर यहीं मुकदमा चलाया गया था। यह मुकदमा भारतीय जनता को अंग्रेजों के विरुद्ध और अधिक संगठित करने का कारण बना।
15 अगस्त 1947 को जब भारत स्वतंत्र हुआ, तब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराकर राष्ट्र को संबोधित किया। तब से लेकर आज तक हर स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा यहीं से भाषण दिया जाता है।
4. लाल किला दर्शनीय स्थल और मुख्य आकर्षण
पर्यटकों के लिए लाल किला में देखने के लिए अनेक स्थान हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
मुख्य आकर्षण:
- लाहौरी गेट और दिल्ली गेट – प्रमुख प्रवेश द्वार
- दीवान-ए-आम व दीवान-ए-खास
- रंग महल और मोती मस्जिद
- स्वतंत्रता संग्रहालय, जहाँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित दस्तावेज़ और चित्रों को प्रदर्शित किया गया है।
- संगीत महल और हयात बख्श बाग, जो मुगल गार्डन शैली का प्रतीक है।
इसके अतिरिक्त, शाम के समय आयोजित लाइट एंड साउंड शो लाल किले के इतिहास को जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है, जो पर्यटकों के लिए बेहद आकर्षक होता है।
5. लाल किले का आधुनिक महत्व
आज के समय में लाल किला केवल एक पर्यटन स्थल नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय धरोहर है। यह UNESCO की विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी सूचीबद्ध है। भारत सरकार द्वारा इसे संरक्षित किया गया है और समय-समय पर इसके जीर्णोद्धार का कार्य भी किया जाता है।
किले के भीतर अब विभिन्न प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। इसके अलावा, दिल्ली में आने वाला हर पर्यटक इसे अपनी यात्रा का हिस्सा बनाता है।
Sat, 22 Mar 2025 08:47 PM