Last Update: 20-06-2025 15:08:18

कुतुब मीनार: दिल्ली का ऐतिहासिक स्मारक, इसकी ऊँचाई, वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व की पूरी जानकारी

कुतुब मीनार भारत का सबसे ऊँचा ईंटों का मीनार है, जिसकी ऊँचाई 72.5 मीटर है। यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल है और इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1199 ईस्वी में शुरू किया था। लाल बलुआ पत्थर से बनी यह मीनार इस्लामिक वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसके पास स्थित कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद और लौह स्तंभ इसे और भी ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण बनाते हैं। दिल्ली आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक प्रमुख आकर्षण है।

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भारत की राजधानी दिल्ली अपने ऐतिहासिक स्थलों के लिए पूरे विश्व में विख्यात है, और उनमें सबसे प्रमुख नाम है कुतुब मीनार। यह न केवल दिल्ली की पहचान है, बल्कि भारत की विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है। महरौली क्षेत्र में स्थित यह अद्भुत मीनार अपने स्थापत्य, ऐतिहासिक महत्व और रहस्यमयी विशेषताओं के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी रहती है। यह विशाल मीनार केवल ईंट और पत्थर से बनी इमारत नहीं, बल्कि भारतीय और इस्लामी स्थापत्य कला का बेजोड़ उदाहरण है।
यदि आप इतिहास प्रेमी हैं या फिर ऐसे स्थानों को देखना चाहते हैं जो समय की रेत पर अमिट छाप छोड़ते हैं, तो यह लेख कुतुब मीनार दिल्ली के बारे में आपकी जानकारी को समृद्ध करेगा। आइए जानते हैं इसकी ऊँचाई, निर्माण, वास्तुकला, रहस्य और इसकी पर्यटन महत्ता के बारे में।

कुतुब मीनार का इतिहास: गौरवशाली शुरुआत

कुतुब मीनार का निर्माण कार्य 1199 ई. में कुतुबुद्दीन ऐबक ने शुरू कराया था, जो दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम शासक थे। उन्होंने केवल भूतल और प्रथम मंज़िल बनवाई। बाद में उनके जमाई और उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन और मंज़िलें जोड़ीं। इसकी अंतिम दो मंज़िलें फिरोज शाह तुगलक द्वारा निर्मित की गईं।

मीनार का नाम कुतुब मीनार कैसे पड़ा, इस पर इतिहासकारों में मतभेद हैं। कुछ इसे कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर मानते हैं, तो कुछ इसे प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी के नाम से जोड़ते हैं।

स्थान: महरौली, दक्षिण दिल्ली
मुख्य आकर्षण: कुतुब मीनार, लौह स्तंभ, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, अलाई दरवाजा

कुतुब मीनार की ऊँचाई और वास्तुकला

यह मीनार लाल और पीले बलुआ पत्थर से निर्मित है और यह 73 मीटर यानी 239.5 फीट ऊँची है। इसकी नींव की चौड़ाई 14.3 मीटर है और ऊपर की ओर जाकर केवल 2.7 मीटर रह जाती है। इसमें कुल 379 घुमावदार सीढ़ियाँ हैं जो ऊपर तक जाती हैं।

इसकी वास्तुकला में इस्लामी और हिन्दू शिल्पकला का सुंदर मेल दिखाई देता है। इस मीनार में अरबी और ब्राह्मी लिपियों में शिलालेख खुदे हैं, जो इसके निर्माण काल और उसकी मरम्मत करने वाले शासकों के नाम दर्शाते हैं।

परिसर की अन्य ऐतिहासिक संरचनाएँ

कुतुब परिसर में सिर्फ कुतुब मीनार ही नहीं, बल्कि और भी कई ऐतिहासिक इमारतें हैं:

कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद: भारत की पहली मस्जिद, जो कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाई गई थी।

लौह स्तंभ: यह चौथी शताब्दी में निर्मित अशोककालीन लौह स्तंभ है, जो 1700 वर्षों से जंगरहित है।

अलाई दरवाजा: खिलजी काल की स्थापत्य शैली का अद्भुत नमूना।

इल्तुतमिश का मकबरा: स्थापत्य में सूफी और तुर्क शैली का प्रभाव देखने को मिलता है।

लौह स्तंभ और उससे जुड़ी मान्यताएँ

कुतुब परिसर में स्थित लौह स्तंभ का रहस्य आज भी वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य है। इसे 1700 वर्षों तक बारिश, धूप और धूल के बावजूद जंग नहीं लगी। मान्यता है कि जो व्यक्ति इसे उलटी दिशा से पकड़ता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। हालांकि, अब इसे एक घेरे में बंद कर दिया गया है ताकि लोग इसे छू न सकें।

कुतुब मीनार: एक आधुनिक पर्यटन स्थल

वर्तमान में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कुतुब मीनार की संरचना और सौंदर्यीकरण पर विशेष ध्यान दिया है। रात में की गई लाइटिंग व्यवस्था से इसकी सुंदरता और भी बढ़ गई है।

वर्ष 2016-17 में कुतुब मीनार से 21 करोड़ रुपये की आय हुई, जो लाल किला से भी अधिक थी। 2017-18 में यह 233 करोड़ रुपये तक पहुँच गई।

यह दर्शाता है कि यह स्मारक देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक अद्भुत आकर्षण बन चुका है।

कुतुब मीनार यात्रा की उपयोगी जानकारी

स्थान: महरौली, नई दिल्ली - 110030

खुलने का समय: प्रतिदिन सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक

प्रवेश शुल्क: भारतीयों के लिए ₹10 और विदेशी पर्यटकों के लिए ₹250

निकटतम मेट्रो स्टेशन: कुतुब मीनार मेट्रो स्टेशन (येलो लाइन)

खास ध्यान दें: परिसर में खाने की अनुमति नहीं है, केवल पानी की बोतल ले जा सकते हैं

सबसे अच्छा समय: सर्दियों का मौसम (नवंबर से फरवरी)

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