पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध मंदिर: ऐतिहासिक धरोहर, धार्मिक महत्व और भव्य वास्तुकला के दर्शनीय स्थल
पश्चिम बंगाल भारत का एक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध राज्य है, जहाँ कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं। दक्षिणेश्वर काली मंदिर, कालीघाट मंदिर, तारापीठ मंदिर, बेलूर मठ, बिष्णुपुर के टेराकोटा मंदिर और शांतिनिकेतन का उपासना मंदिर यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल हैं। ये मंदिर न केवल भक्तों के लिए पूजनीय हैं, बल्कि बंगाल की अद्भुत स्थापत्य कला और धार्मिक परंपराओं को भी दर्शाते हैं। यदि आप पश्चिम बंगाल की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इन मंदिरों के दर्शन अवश्य करें।
पश्चिम बंगाल अपने समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां के पश्चिम बंगाल मंदिर केवल पूजा स्थल ही नहीं बल्कि आस्था, परंपरा और अद्भुत वास्तुकला के प्रतीक भी हैं। हिंदू धर्म में इन पश्चिम बंगाल के धार्मिक स्थल का विशेष महत्व है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति और मोक्ष प्रदान करते हैं। बंगाल की भूमि पर स्थित ये पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध मंदिर हजारों वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहे हैं। यहाँ पश्चिम बंगाल में घूमने की जगह के रूप में शक्तिपीठ, काली मंदिर और अन्य पवित्र स्थल मौजूद हैं, जो यात्रियों और तीर्थयात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। आइए जानते हैं बंगाल के कुछ बंगाल के देवस्थान और बंगाल के मंदिर दर्शन की विशेष जानकारी।
किरितेश्वरी मंदिर (Kiritswari Temple)
यह मंदिर किरित शक्तिपीठ के नाम से भी प्रसिद्ध है और यह धाम अत्यंत विशेष माना जाता है। पश्चिम बंगाल के प्रसिद्ध मंदिरों में शामिल यह मंदिर हुगली नदी के तट पर स्थित है, जहाँ शिव और शक्ति दोनों की उपस्थिति मानी जाती है। मान्यता है कि इस स्थान पर माँ सती का मुकुट गिरा था, जिससे यह शक्तिपीठ अस्तित्व में आया। यहाँ माता को 'विमला' या 'भुवनेश्वरी' और शिव को 'संवर्त' के रूप में पूजा जाता है। पुराणों में इसे एक जाग्रत स्थल माना गया है, जहाँ श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यही कारण है कि यहाँ भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
कालीघाट काली मंदिर (Kalighat Kali Temple)
भारत के 51 शक्तिपीठों में से एक कालीघाट काली मंदिर पश्चिम बंगाल का सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। हुगली नदी के किनारे स्थित यह मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इसके समीप स्थित घाट को ही कालीघाट कहा जाता है। मान्यता है कि माता सती के दाएँ पैर की चार उंगलियाँ यहाँ गिरी थीं, जिससे यह शक्तिपीठ बना। पुराणों के अनुसार, जहाँ-जहाँ माता सती के अंग, वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ शक्तिपीठों की स्थापना हुई। इस मंदिर में माँ काली की भव्य प्रतिमा स्थित है। नवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर (Dakshineswar Kali Temple)
गंगा के पूर्वी तट पर स्थित दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण 1855 में हुआ था। यह मंदिर लगभग 25 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है और इसकी भव्यता देखते ही बनती है। यह बंगाल के मंदिर दर्शन में एक प्रमुख तीर्थस्थल है। इस मंदिर में रामकृष्ण परमहंस ने माँ जगदंबा की उपासना की थी। मंदिर के अंदर माँ काली की प्रतिमा भगवान शिव के ऊपर खड़ी मुद्रा में स्थापित है, जिसे देखने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं।
श्री नलतेश्वरी मंदिर (Shri Nalateswari Temple)
नलहाटी शक्तिपीठ, पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में रामपुरहाट के पास स्थित एक पवित्र हिन्दू तीर्थ स्थल है। इसे माँ नलतेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर पहाड़ों और हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है, जो इसे और भी पवित्र और आकर्षक बनाता है। मान्यता के अनुसार, इस स्थान पर माँ सती का कंठ गिरा था, जिसके कारण यह स्थान शक्ति उपासकों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बन गया।
तारापीठ मंदिर (Tarapith Temple)
बीरभूम जिले में स्थित तारापीठ मंदिर, माँ तारा देवी को समर्पित है। स्थानीय भाषा में 'तारा' का अर्थ आँख और 'पीठ' का अर्थ स्थल होता है, इसलिए यह मंदिर माँ सती की आँख के गिरने का स्थान माना जाता है। यह मंदिर अपने तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए भी प्रसिद्ध है। शक्ति की साधना करने वाले अनेक तांत्रिक यहाँ साधना करने आते हैं। इसके अलावा, यह पश्चिम बंगाल तीर्थ यात्रा के प्रमुख स्थलों में से एक है।
Mon, 17 Mar 2025 08:08 AM