Last Update: 23-03-2025 09:08:04
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करवा चौथ 2024: पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर शाम 5:46 बजे से शाम 7:02 बजे तक रहेगा, और चंद्रोदय का समय शाम 7:54 बजे होगा, पूजा विधि और आवश्यक सामग्री

करवा चौथ 2024 इस साल [तिथि भरें] को मनाया जाएगा। विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए करवा चौथ की पूजा करती हैं। इस विशेष पर्व पर चंद्रमा के दर्शन कर व्रत तोड़ा जाता है। करवा चौथ के लिए पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत की विधि जानने के लिए पढ़ें।

करवा चौथ 2024: पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर शाम 5:46 बजे से शाम 7:02 बजे तक रहेगा, और चंद्रोदय का समय शाम 7:54 बजे होगा, पूजा विधि और आवश्यक सामग्री image..

करवा चौथ का पर्व भारतीय समाज में एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहार है, जो विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ का पर्व 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं कठिन व्रत का पालन करती हैं और विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं।

करवा चौथ 2024 का शुभ मुहूर्त और व्रत समय

करवा चौथ पर पूजा का मुहूर्त विशेष महत्व रखता है, क्योंकि महिलाएं इस समय में विधिपूर्वक पूजा करके अपने व्रत का समापन करती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत सुबह 6:25 से लेकर शाम 7:54 तक रहेगा, जो कुल मिलाकर 13 घंटे और 29 मिनट का होगा। पूजा का मुहूर्त शाम 5:46 बजे से शाम 7:02 बजे तक का रहेगा, जो लगभग 1 घंटा और 16 मिनट का होगा।

चंद्रोदय का समय शाम 7:54 बजे निर्धारित है। इसी समय चंद्रमा के दर्शन के बाद महिलाएं व्रत खोलती हैं और अपने पति को छलनी से देखकर पूजा संपन्न करती हैं।

करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

करवा चौथ व्रत में पूजा विधि का बड़ा महत्व होता है। इस व्रत की पूजा पारंपरिक ढंग से और पूरे विधि-विधान के साथ की जाती है। यहां पर हम आपको करवा चौथ व्रत की संपूर्ण पूजा विधि बता रहे हैं:

ब्रह्म मुहूर्त में स्नान: करवा चौथ के दिन सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद साफ-सफाई करके पूजा की तैयारी की जाती है।

मंदिर और घर की सफाई: घर और मंदिर को साफ करके वहां पूजा सामग्री रखनी चाहिए। घर के सभी देवी-देवताओं की विधिवत पूजा करें।

संकल्प लें: करवा चौथ व्रत का संकल्प लें। संकल्प के समय मन में यह भाव रखें कि यह व्रत पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए किया जा रहा है।

संध्या समय कथा पाठ: शाम के समय शुभ मुहूर्त में करवा चौथ व्रत कथा का पाठ करें। इस कथा को सुनना और सुनाना दोनों ही अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

चंद्रमा की पूजा: चंद्रमा के उदय के बाद उनकी पूजा करें। पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।

पति का दर्शन: चंद्रमा की पूजा के बाद पति को छलनी से देखकर उनकी आरती उतारें और उनका आशीर्वाद लें।

व्रत पारण: पति द्वारा पत्नी को पानी पिलाकर व्रत का पारण किया जाता है, जिससे व्रत पूर्ण होता है।

करवा चौथ पूजा सामग्री

करवा चौथ की पूजा विधि में कुछ विशेष सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है, जिनका अपना-अपना महत्व है। यह सामग्री आसानी से उपलब्ध होती है और पूजा के दौरान इनका विधिपूर्वक प्रयोग किया जाता है। करवा चौथ की पूजा सामग्री में निम्नलिखित चीजें शामिल होती हैं:

  • मिट्टी या तांबे का करवा और ढक्कन
  • पान और सींक
  • कलश और अक्षत
  • चंदन और फल
  • पीली मिट्टी और फूल
  • हल्दी और लकड़ी का आसान
  • देसी घी, कच्चा दूध, दही, शहद और शक्कर का बूरा
  • रोली और मौली (पूजा की लाल धागा)
  • मिठाई और चलनी (छलनी)

इन सामग्रियों का उपयोग करवा चौथ की पूजा में किया जाता है, और ये सभी सामग्रियां पूजा को सफल बनाने में सहायक होती हैं।

करवा चौथ की धार्मिक मान्यताएं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, करवा चौथ व्रत रखने से पति की लंबी उम्र और सुरक्षा प्राप्त होती है। साथ ही, घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तरी भारत में अधिक प्रसिद्ध है, लेकिन अब यह पूरे देश में मनाया जाने लगा है। इस दिन विवाहित महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न और जल ग्रहण किए व्रत का पालन करती हैं। इसके पीछे मान्यता है कि इस कठिन व्रत से पति की आयु लंबी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

करवा चौथ की कथा

करवा चौथ के दिन व्रत कथा सुनने का भी विशेष महत्व होता है। इस कथा का वर्णन पौराणिक ग्रंथों में मिलता है, जिसमें बताया गया है कि कैसे एक पत्नी ने अपने पति की रक्षा के लिए कठिन तप किया और उसे मृत्यु के मुख से बचाया। यह कथा इस व्रत की पवित्रता और महत्व को दर्शाती है।

कहा जाता है कि इस व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ रखने से महिलाओं को मनचाहा फल मिलता है। पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का यह पर्व उनके रिश्ते को और भी प्रगाढ़ बनाता है।

करवा चौथ का आधुनिक युग में महत्व

करवा चौथ अब केवल धार्मिक पर्व तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव भी बन गया है। आज के समय में महिलाएं इस पर्व को उत्साह और धूमधाम के साथ मनाती हैं। इस दिन विवाहित महिलाएं सज-धजकर एक दूसरे के साथ मिलती हैं और करवा चौथ व्रत की कथा सुनती हैं।

इस पर्व के दौरान पति-पत्नी के बीच एक विशेष भावनात्मक जुड़ाव होता है, जो उनके रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है। करवा चौथ अब समाज में महिलाओं की भूमिका और उनके समर्पण को भी दर्शाता है।

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